उत्तराखंड गो सेवा आयोग का सामान्य कार्यकारणी की बैठक का हुआ आयोजन

 उत्तराखंड गो सेवा आयोग का सामान्य कार्यकारणी की बैठक का हुआ आयोजन

देहरादून । उत्तराखण्ड गो सेवा के अध्यक्ष प0 राजेन्द्र अणथ्वाल की अध्यक्षता में आज सांय 3.00 बजे पषुधन भवन-मोथरोवाला में उत्तराखण्ड गौ सेवा आयोग की सामान्य कार्यकारिणी की बैठक आहुत की गयी ।
बैठक में डा0 बी0बी0आर0 पुरूशोत्तम-सचिव, पषुपालन, कृशि, दुग्ध विकास, उत्तराखण्ड षासन, श्री कृश्ण कुुमार-संयुक्त सचिव, राजस्व, उत्तराखण्ड षासन, श्री प्रमोद कुमार- अपर पुलिस अधीक्षक, डा0प्रेम कुमार-निदेषक, पषुपालन, डा0अविनाष आनन्द-अपर निदेषक, पषुपालन, डा0राकेष नेगी-मुख्य अधिषासी अधिकारी, यू0एल0डी0बी0, डा0 उर्वषी-पषुचिकित्सा अधिकारी, ग्रेड-1 पषुकल्याण बोर्ड, श्री राजीव पाण्डेय-सह निदेषक, षहरी विकास, श्री मनोज कुमार तिवारी-उप निदेषक, पंयायतीराज विभाग एवं डा0डी0सी0सेमवाल-प्रभारी अधिकारी, गो सेवा आयोग एंव उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग के नव नियुक्त सदस्य श्री रामेष्वर दास, महामण्डलेष्वर श्री ईष्वरदास जी के प्रतिनिधि-स्वामी श्री पवन दास, श्री षंकर दत्त पाण्डे, श्री धर्मवीर सिंह गुसांई, श्री षीतल प्रसाद, श्री सतीष उपाध्याय, श्री विजय बाजपेयी, श्री राजेन्द्र सिंह नेगी, श्री अनिल सिंह नेगी, सुश्री गौरी मोलेखी एवं सुश्री कामिनी कष्यप द्वारा प्रतिभाग किया गया।
सर्वप्रथम उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग में नवनियुक्त सदस्यों का अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत के साथ दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम सम्पन्न किया गया। तत्पष्चात बैठक में उत्तराखण्ड गोवंष सरंक्षण अधिनियम, 2007 को और अधिक प्रभावी बनाये जाने हेतु अधिनियम की कतिपय धाराओं में संषोधन एवं आयोग में कार्मिकों का ढांचा स्वीकृत किए जाने एवं आयोग की नियमावली प्रख्यापित किए जाने संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। आयोग को गौ एवं गौवंष के सरंक्षण हेतु कोई भी बजट प्राप्त न होने के कारण वित्तीय संसाधनों के अभाव में दूसरी संस्थाओं पर निर्भर न रहना पड़ता है, उसके लिए हर वित्तीय वर्श में बजट प्रावधान कराने के निर्देष दिए गये। साथ ही आबकारी, भूमि क्रय एवं अन्य पर षुल्क/सेस लगाकर इससे प्राप्त होने वाली आय को गौ एवं गौवंष के सरंक्षण, संवर्धन एवं विकास के कार्यो पर व्यय किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव पर भी विचार किया गया।
बैठक में वनों के समीप गौचर भूमि पर निराश्रित गौवंष हेतु आदर्ष गौषाला एवं गौसदनों को आत्म निर्भर बनाये जाने हेतु गौवंष के गोबर से गैस, गमले, डण्डे (काउ डंग लॉग) दीये, अगरबत्ती आदि तथा गौमूत्र से फिनायल, गौमूत्र अर्क इत्यादि तैयार किए जाने हेतु संयत्रों/मषीनों की खरीद पर सरकार द्वारा 90ः अनुदान दिए जाने संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया तथा साथ ही गौसदनों/गौषालाओं का आर्थिक बोझ कम किए जाने हेतु उनमें संयोजित विद्युत/पानी के कनेक्षनों को व्यावसायिक से घरेलू कनेक्षन में परिवर्तित करने संबंधी प्रस्ताव पर पिटीषन विद्युत विनियामक आयोग में डालने के निर्देष दिए गये।
बैठक में गौवंष के प्रति अपराध पर रोक लगाने हेतु पुलिस विभाग द्वारा परिक्षेत्र स्तर पर गठित गौवंष सरंक्षण स्कवायड का प्रत्येक जनपद/थानास्तर तक विस्तारीकरण करने के निर्देष दिए गये। साथ ही राज्य में सभी गौ एवं गौवंष का पंजीकरण सुनिष्चित करने हेतु पषुपालन को निर्देष दिए गये। सड़कों पर गौवंष छोड़ने पर संबंधित के विरूद्ध गौवंष सरंक्षण अधिनियम की धारा-7 के अन्तर्गत कठोर कार्यवाही किए जाने हेतु सभी नगर निकायों/पंचायतों को निर्देष दिए गये है।
मा0 उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा दिनांक 27-10-2016 तथा दिनांक 10-8-2018 को पारित आदेष में राज्य के सभी षहरी क्षेत्रों में समस्त नगर निकायों द्वारा एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायतों द्वारा 25-25 ग्रामों के समूह में एक-एक गौषाला/षरणालयों की स्थापना हेतु दिए गये निर्देषों का संबंधित विभागों के स्तर पर अनुपालन अपेक्षित है। राज्य में माह मई-जून, 2023 में प्रस्तावित जी-20 सम्मेलन के दृश्टिगत सड़कों पर विचरण कर रहे सभी निराश्रित गौ एवं गौवंष के प्रबंधन हेतु गौषाला/षरणालयों की स्थायी व्यवस्था करने हेतु ’’षहरी विकास विभाग’’ एवं ’’पंचायतीराज विभाग’’ को निर्देष जारी किए गये।
इसके साथ ही गौसदनों को लीज पर भूमि दिए जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों द्वारा षासन को प्रेशित प्रस्तावों पर षासस्तर पर विलम्ब से कार्यवाही किए जाने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए षीघ्रातिषीघ्र लम्बित प्रस्तावों पर कार्यवाही करने हेतु संयुक्त सचिव, राजस्व विभाग सेे अपेक्षा की गयी। साथ ही जिलाधिकारी स्तर पर गौचर भूमि को गौसदनों हेतु चिन्हित एवं अतिक्रमण मुक्त कराने के भी निर्देष दिए गये। पषुपालकों द्वारा गौवंष के अलाभकारी होने पर सड़कों पर छोड़ने की समस्या के निदान हेतु कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ गौवंष के जन्म से लेकर मृत्यु होने दपर उसके निस्तारण की एक उपयुक्त व्यवस्था तैयार करने हेतु तीन सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देष दिए गये। उक्त के अतिरिक्त राज्य के अन्तर्गत संचालित विभिन्न मान्यता प्राप्त एवं अमान्यता प्राप्त गौसदनों/कांजी हाउसों/गौषालाओं में अनियमिता एवं षरणांगत गौवंष को अत्यधिक दयनीय स्थिति में रखने की भी षिकायतें प्राप्त हुयी, जिन पर सर्वप्रथम उन सभी गौसदनांें को जिन्हें राजकीय सहायता प्राप्त हो रही है, का समय-समय पर औचिक निरीक्षण करने हेतु जिलाधिकारी एवं आयोग स्तर पर समिति गठित करने के निर्देष दिए गये।

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