गो सेवा आयोग के अध्यक्ष ने ली बैठक, लिए कई बड़े फैसले।
कोटद्वार। पं0 राजेन्द्र अणथ्वाल, मा0 अध्यक्ष, उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग की अध्यक्षता में ’’पशुधन भवन’’ मोथरोवाला, देहरादून के सभा कक्ष में राज्य के सभी नगर निगमों के नगर आयुक्तों के साथ ’’गायों मेें फैली लम्पी स्किन डिजीज से सड़कों पर विचरण कर रहे गौवंश को बचाने एवं उनके उपचार हेतु स्थान उपलब्ध कराते हुए अस्थाई shelter की व्यवस्था सुनिष्चित करने हेतु’’ उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग की ओर से एक आवश्यक बैठक आहूत की गयी।
बैठक में डा0प्रेम कुमार, निदेशक, पशुपालन, श्री पंकज उपाध्यक्ष, नगर आयुक्त, नगर निगम-हल्द्वानी, श्री रविन्द कुमार, A.A.E नगर निगम-रूड़की, श्री रमेश सिंह रावत, S.N.A नगर निगम-ऋषिकेश, श्री श्याम सुन्दर प्रसाद,S.N.A, नगर निगम-हरिद्वार, डा0 शरद कुमार भण्डारी, संयुक्त निदेषक, उत्तराखण्ड राज्य पशुकल्याण बोर्ड, डा0 डी0 सी0 तिवारी, पशुचिकित्सा अधिकारी, ग्रेड-1, नगर निगम-देहरादून, अब्दुल सलीम, कर एवं राजस्व निरीक्षक, नगर निगम काषीपुर, डा0 उर्वषी, पशुचिकित्सा अधिकारी, ग्रेड-1, उत्तराखण्ड राज्य पशुकल्याण बोर्ड एवं डा0 डी0सी0सेमवाल, प्रभारी अधिकारी, उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग एंव अन्य अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित हुए।
बैठक में कोटद्वार, श्रीनगर एवं रूद्रपुर नगर निगम के नगर आयुक्त के बैठक में उपस्थित न होने पर आयोग के अध्यक्ष जी द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त उनसे स्पष्टीकरण प्राप्त करने हेतु निर्देशित किया गया। बैठक में निम्नलिखित निर्देश जारी किए गयेः-
1. बैठक में सभी नगर निगमों/नगर पालिका परिषदों/जिला पंचायतों को लम्पी स्किन डिजीज से प्रभावित सड़कों पर विचरण कर रहे गो एवं गोवंश के उपचार हेतु अनिवार्य रूप से एक सप्ताह के भीतर स्थान चयनित कर उनके लिए टिन के अस्थाई shelter बनाने एवं अधिक से अधिक गोवंश के इलाज व चारा-दाना, पीने के पानी की समुचित व्यवस्था करने एवं कार्यवाही से आयोग को अवगत कराने के निर्देश दिए गये।
2. सड़क मार्गो से गौवंश को खाली कराने हेतु उनके लिए shelter बनाने हेतु मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा दिनांक 27.10.2016 एवं दिनांक 10.08.2018 को पूर्व में पारित आदेश का भी आज तक भी अनुपालन न किए जाने पर आयोग के अध्यक्ष जी द्वारा नाराजगी व्यक्त की गई। सभी नगर निगमों/नगर पालिका परिषदों/जिला पंचायतों में सड़कांे पर वर्तमान में विचरण कर रहे गौवंश की गणना, तद्नुसार shelter की व्यवस्था सुनिष्चित करने के निर्देश दिए गये।
3. नगर निगम क्षेत्रान्तर्गत पशुपालकों द्वारा आवारा छोड़े गये गौवंश पर लगे टैग से गौवंश के मालिक की पहचान सुनिश्चित कर गोवंश सरंक्षण अधिनियम, 2007 की धारा-7 एवं 8 का उल्लघंन करने पर सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत कार्यवाही करने एवं गौवंश पालन हेतु प्रत्येक गौवंश का पंजीकरण अनिवार्य कर नगर निगम स्तर पर गोवंश का जन्म एवं मृत्यु का अभिलेखीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए गये। साथ ही गौवंश की पहचान हेतु माइक्रो-चिप लगाने की नई तकनीक का उपयोग अनिवार्य करने के निर्देश दिए गये।
4. सभी नगर निगमों/नगर पालिका परिषदों/जिला पंचायतों द्वारा कूड़ा निस्तारण हेतु प्रयुक्त किए जा रहे वाहनों में स्वच्छता संदेश के साथ-साथ गोवंश संरक्षण का भी संदेश प्रसारित करने के निर्देश दिए गये।
5. सभी नगर निगम क्षेत्रों में निराश्रित वृद्ध, बीमार एवं घायल गोवंश को कांजी हाउस/शरणगृहों तक पहुंचाने एवं लिफ्ट कराने हेतु अनिवार्य रूप से एक-एक लिफ्टिंग वैन की व्यवस्था करने तथा नगर निगमों में पशु स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के त्वरित निराकरण एवं गो सरंक्षण से संबंधित कार्यो हेतु पशुचिकित्सा अधिकारी के पद का अनिवार्य रूप से सृजन करने के निर्देश दिए गये।
6. बैठक में डेयरी उत्पादों पर सेस लगाकर गोवंश के संरक्षण के कार्यो पर व्यय करने का प्रस्ताव।
7. बैठक में मा0 उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय के आलोक में गौसदनों/कांजी हाउस में पानी एवं विद्युत के कनैक्शनों को व्यवसायिक के स्थान पर घरेलू कनेक्षनों में बदलने का प्रस्ताव रखा गया, ताकि उनका आर्थिक बोझ कम किया जा सके.