सुखरो नदी की आबरू अब रामभरोसे, खनन माफियाओं का अहंकार रावण से भी आगे
कोटद्वार। हमारी सुखरो नदी को देख के तो अब रोना सा आता है इसे देख के तो अब यही लगता है कि इस नदी का अस्तित्व अब राम भरोशे ही है
खनन माफियाओं ने अवैध खनन कर कोटद्वार सुखरो नदी की कोख को छलनी कर दी है। यहाँ लंबे समय तक अवैध खनन का काम होता रहा। पोकलैंड मशीनों व मजदूरों के माध्यम से नदियों का सीना चीरकर बालू जा रहा है। इससे नदियों की गहराई तो बढ़ ही गई किसी न किसी रूप में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा है। नेताओं अधिकारियों से मिली भगत कर खनन माफियाओं का यह धंधा खूब फला फूला। रात बिरात चोरी छुपे भले ही लोग ट्रैक्टरों के माध्यम से अपने इस्टॉको मे बालू डाल रहे है।
जनपद में प्राकृतिक संपदा से मालामाल बेतवा नदी तो है ही, कोटद्वार में मालन, खो, सुखरो, कई नदियां हैं। लेकिन भाभर इस्थित सुखरो नदी पर जिस प्रकार अवैध रूप से खनन करने वाले ही इसमें सफल रहे। जिसके चलते इस नदी में बीच में तीस से चालीस फुट तक गहरे गड्ढे होने का अनुमान है। अपने निजी स्वार्थों के चलते खनन माफियाओं ने इस नदी की कोख को छलनी करके रख दिया। सत्ता की धमक के चलते अधिकारी भी इनसे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते रहे। मिली भगत का यह खेल इस जगह में वर्षो तक चल रहा है। इस नदी को तो भारी नुकसान पहुंचा ही, सड़कों का भी सत्यानाश हो गया है। लेकिन अब वर्तवान में इस नदी को बचाने वाला इस धरती में तो कोई नही दिख रहा है जो हर रोज़ छलनी हो रही है लेकिन यहाँ नदी कहर बनकर जरूर सामने आयेगी।